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लेखनी प्रतियोगिता -27-Jul-2022

"जिंदगी की दौड़"

ना जाने वक्त ने क्या खेल खेला है,
ये शब्दों में बयां नहीं कर सकता हुं l
क्या बताऊं कि मैंने क्या क्या झेला है,
जो अब जिंदगी में दर्द ही दर्द देखता हुं।

जीता जो जंग है उसी के पीछे देखा काफ़िला है,
अब मुझे मेरा सय्यम टूटा सा देखता हुं।
ना जाने ईश्वर तेरी ओर कहा रास्ता है,
कुछ खुद को खुद से हारा हुआ देखता हुं।

कुछ सवाल मन में मेरे उठे है,
ऐ जिंदगी ये बता की दौड़ कैसे जीतू।
संघर्ष कब तक जारी है जिक्र कर दे,
कुछ ज़िंदगी की दौड़ में हारता नजर देखता हुं।

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16 Comments

Khan

28-Jul-2022 11:48 PM

😊😊

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Saba Rahman

28-Jul-2022 09:14 PM

,😊😊😊😊

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Aniya Rahman

28-Jul-2022 08:35 PM

Nyc

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